दैनिक जीवन
में योग का महत्व
“
दैनिक जीवन में योग”एक
पद्धति
का परिचय –शरीर,
बुद्धि,
चेतना
एवं आत्मा का विज्ञान आज की
दुनिया में दिन प्रतिदिन बढ़
रहा है।
हर मानव की
इच्छा स्वयं और
पर्यावरण से समरस होकर जीवित रहने की है। तथापि आधुनिक युग में अधिक शारीरिक और भावात्मक
इच्छायें लगातार जीवन के अनेक क्षेत्रों पर भारी हो रही है। परिणामतः अधिकाधिक व्यक्ति खिंचाव, चिंता,
अनिद्रा
जैसे शारीरिक और मानसिक तनावों से पीड़ित हैं और शारीरिक सक्रियता और उचित व्यायाम में
एक असंतुलन सा बन गया है।
“
दैनिक जीवन में योग पद्धतिविश्वव्यापी योग
केन्द्रों,प्रौढ़ शिक्षा
केन्द्रों,स्वास्थ्य
संस्थाओं,दक्षता
और खेलकूद, पुनर्स्थापन केन्द्रों
और स्वास्थ्य विहारों में
सिखाई
जाती है। यह अयोग्य,विकलांग,
बीमार
और स्वास्थ्य लाभ करने वाले सभी व्यक्तियों को
योगाभ्यास करने की संभावना प्रदान करती है।
इसका नाम स्वयं इस बात का द्योतक
है कि योग का प्रयोग दैनिक जीवन में किया
जा सकता है और किया भी जाना चाहिए।
दैनिक
जीवन में योग के
मुख्य लक्ष्य हैः-
1. शारीरिक
स्वास्थ्य
2.
मानसिक स्वास्थ्य
3.
सामाजिक स्वास्थ्य
4.
आध्यात्मिक स्वास्थ्य
5.
आत्मानुभूति या हमारे अपने अंदर दिव्यात्मा की अनुभूति
इन
लक्ष्यों की प्राप्ति निम्नलिखित द्वारा होती हैः-
* सभी जीवधारियों के प्रति प्रेम
और सहायता - भाव
* जीवन के प्रति सम्मान और प्रकृति व पर्यावरण का
संरक्षण
* मानसिक शांति
* पूर्ण विचार तथा
सार्थक और सकारात्मक जीवन शैली
* शारीरिक, मानासिक
और आध्यात्मिक अभ्यास
*
सभी शब्दों, संस्कृतियों और
धर्मों के प्रति सहानुभूति व सहनशीलता
हमारे
देश में योग बहुत
प्रचलित हो गया है। योग करके हम शरीर की अनेक बीमारियों को दूर कर सकते हैं। यह बीमारियों को ही
नहीं ठीक करता बल्कि अवसाद,
चिंता,
डिप्रेसन,
मोटापा,
मनोविकारों
को भी दूर भगाता है। योग के अनेक लाभ हैं।
विश्व
में हर साल “21जून” का दिन “विश्व योग दिवस” के रूप
में मनाया जाता है। वर्ष 2014में
संयुक्त राष्ट्र संघ ने “विश्व योग दिवस” मनाने की घोषणा की थी। योग का अर्थ “बांधना अथवा
एकता” है। यह विश्व
के अनेक देशों में प्रचलित हो गया है।
चीन,
तिब्बत,
जापान
के साथ-साथ अमेरिका, यूरोप,ब्रिटेन
में भी यह बहुत प्रचलित हो गया है। वेदों में
भी योग का उल्लेख मिलता है। सिन्धु धाटी
सभ्यता से ऐसी अनेक मूर्तियाँ
मिली हैंजिसमें योग के चित्र बने हुए हैं।
ऋषि पतंजलि योग दर्शन के संस्थापक माने जाते हैं।
“योग
कोई प्राचीन मिथक नहीं है। यह
वर्तमान की सबसे बहुमूल्य विरासत है।
यह आज की आवश्यकता है और
कल की संस्कृति” --- स्वामी सहजानन्द सरस्वती
योग कई प्रकार के हैं, जैसे :-
1.
मंत्रयोग
2.
हठयोग
3.
कुंडलिनीयोग
4.
राजयोग
आज
केवैज्ञानिक
युग में योग के निम्न 6फायदें हैं
:
1.
योग का प्रयोग शारीरिक,मानसिक और आध्यत्मिक
लाभों के लिए हमेशा होता रहा है। आज की
चिकित्सा शोधों ने ये साबित कर दिया है कि
योग शारीरिक व मानसिक रूप से मानवजाति के लिए वरदान है।
2.
जहां जिम़ अदि से शरीर के किसी खास अंग का ही व्यायाम होता है वहीं योग से शरीर के
समस्त अंगो- प्रत्यंगों,
ग्रंथियों
का
व्यायाम होता है।
3.
योगाभ्यास से रोगों से लड़ने की शक्ति बढ़ती
है।
4.
योग से हम अपना वजनकम कर सकते हैं
और दूसरी तरफ योगासन मांसपेशियों को पुष्टता प्रदान करता है
जिससे दुबला-पतला व्यक्ति भी ताकतवर
हो सकता है।
5.
प्राणायाम के लाभ - योग के अंग प्राणायाम एवं ध्यान भी योगासनों की तरह शरीर के
लिए बहुत फायदेमंद है ।
6.
ध्यान भी योग का एक प्रमुख लाभ है।
योग
का लाभ :- छात्रों, शिक्षकों एवं
शोधार्थियों के लिए योग विशेष रूप से लाभदायक सिद्ध होता है।
क्योंकि यह उनके मानासिक स्वास्थ को बढ़ाने के साथ-साथ उनकी एकाग्रता भी
बढ़ाता है।
आज
की आवश्यकता को देखते हुए योग शिक्षा की बेहद महत्वपूर्ण
आवश्यकता है क्योंकि सबसे बड़ा सुख शरीर का स्वस्थ होना ही है।
अतः
आज की भाग-दौड़ की जिन्दगी में खुद को
स्वस्थ एवं ऊर्जावान बनाए रखने के लिए योग बेहद आवश्यक है।
वर्तमान
परिवेश में योग न सिर्फ हमारे लिए लाभकारी है
बल्कि विश्व के बढ़तेप्रदूषण एवं
मानवीय व्यस्तताओं से उपजी समस्याओं के
निवारण के संदर्भ मे भी इसकी सार्थकता और बढ़
गई है।
-
एस.
राजेश्वरी
एमएमटीसी लिमिटेड
चेन्नै-600 108
मोबाइल : 9677290044
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