चारों
ओर वह थाली फिरे। मोती उससे एक न गिरे ।।
2. एक नार ने अचरज किया। साँप मार पिंजरे में दिया ।
ज्यों-ज्यों
साँप ताल को खाए। सूखै ताल साँप मरि जाए ।।
3. खेत में उपजे सब कोई खाय ।
धर में
होवे घर खा जाय ।।
4. नारी सोवे सेज पर, मुख पर डारे केस ।
चल
खुसरो घर आपनो, रैन भई चहुँ देश ।।
प्रस्तुतकर्ता - जेनिफर डिफाइवा
वरिष्ठ प्रबंधक (राभा)
एमएमटीसी लिमिटेड
क्षे.का. - चेन्नै
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