वह कौन है!
प्यार, न्याय और
आनंद से भरी हुई
खुशी के शब्दों से
पिरोई हुई
अच्छाई को गले लगाने
वाली
जीवन से सौंदर्य
ग्रहण करने वाली
भाषाविदों की दुलारी
अनुप्रासों की प्यारी
संसारिक नौका में यात्रा
करने वाली
मानवता का बीज, कौन है!
जीवन के अंतिम पहर
में
आध्यात्मिक पुकार
देने वाली
प्रकृति की ओर ले
जाने वाली
अपने गीतों से शांति
देने वाली
माँ
कौन है!
सपनों को
सवारने वाली
अंधेरे को मिटाने वाली
ईमानदारी सीखाने वाली
गुरू
कौन है !
संगीत की धारा में
बहाने वाली
अक्रान्ता की भी होश
उड़ाने वाली
संसारिक जीवन का
व्याकरण
प्रगतिशील साहित्य
का सूत्रधार
कौन है!
इस विशाल संसार में
नाम और प्रसिद्धि देने वाली
सभी संबंधों को जन्म देने वाली
हरेक ध्वनि का मूल
अति विशिष्ट भाषा
कौन है !
समय से कदम मिलाती
हुई
हवा में घुली हुई
पूरी धरती पर फैली
हुई
कौन है!
भाषाओं की माँ, क्या
भाषाओं की माँ, तमिल
!
- डी. कबाली
उप महाप्रबंधक
क्षेत्रीय कार्यालय : चेन्नै
मो. नं. : 8754490155
1 comment:
बहुत ही अच्छी कविता है...
Post a Comment