बुरा करने का फल बुरा
ही होता है
एक बार किसी गांव से तीन भाई धन कमाने के लिए परदेश रवाना हुए। रास्ते में उन्हें उन्हीं की तरह यात्रा पर निकला किसान मिला, जिसके पास कुछ धन था। सभी भाइयों के मन में किसान को ठगने का विचार आया। उन्होंने उसे यात्रा में साथ ले लिया। रात को वे एक मंदिर में रुके तो तीनों भाइयों ने किसान को खाना लेने भेजा। जब वह खाना लेकर आया तो उसे किसी काम में उलझाकर अधिकांश खाना तीनों ने खा लिया। किसान बेचारा अधपेटा ही रह गया। वह आगे के लिए सावधान हो गया। अगले दिन जब किसान को उन्होंने लड्डू लाने के लिए भेजा तो किसान ने अपना हिस्सा पहले ही खा लिया। कम लड्डू देखकर तीनों ने कहा, ‘तुमने हमारे बिना लड्डू कैसे खा लिए?’ किसान ने एक और लड्डू मुंह में उठाकर रखा और कहा, ‘ऐसे।’ तीनों मन मसोसकर रह गए और बाद में किसान से बदला लेने का निश्चय किया।
परदेश में धन कमाकर लौटने से पहले तीनों
ने किसान से रात को खीर बनवाई और
कहा, ‘जिसे सबसे अच्छा सपना
आएगा, वही इस खीर को सुबह
खाएगा।’ चतुर किसान ने उनके सोने
के बाद सारी खीर खा ली। सुबह तीनों भाइयों ने सपने सुनाने
शुरू किए। एक ने कहा, ‘मैंने
जयपुर नरेश को सपने में मेरा सत्कार करते देखा।’ दूसरा बोला, ‘मैं ओरछा दरबार में राजा के साथ
नर्तकियों का नृत्य
देख रहा था।’
तीसरे
ने कहा, “मैं तो सपने में मक्का पहुंच गया।” इसके
बाद किसान बोला, “सपने में मुझे एक बलिष्ठ आदमी ने खूब मारा और
सारी खीर खाने को बाध्य कर दिया।” यह सुनते ही तीनों चिल्लाए, “तूने
हमें जगाया क्यों नहीं? हम तुझे
बचा लेते।” किसान बोला, “कैसे जगाता? तुम
तीनों तो तीन अलग शहरों में थे।”
प्रस्तुतकर्ता
वाई. संघमित्रा
वरिष्ठ प्रबंधक
एमएमटीसी लिमिटेड,
क्षेत्रीय कार्यालय, चेन्नै
बुरा करने का फल बुरा ही होता है
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